भारी-भरकम पाठ्यक्रम से नहीं मिलता रचनात्‍मक सोचने का समय, बच्चों के विकास में भी बाधक

बस्ते का भारी बोझ बच्‍चों की पीठ के लिए या केवल शारीरिक परेशानी ही पैदा नहीं करता बल्कि यह उनमें मानसिक उलझनें भी बढ़ाने का काम करता है।

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